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मेरी पहली चोदाई की कहानी
यह मेरी पहली चोदाई की कहानी एक ऐसी औरत के साथ की है, जिससे न मैं कभी मिला था, ना कभी उसको लेकर कुछ सोचा था कि जिंदगी में ऐसी कोई औरत आएगी.

मेरी रफ्तार इतनी तेज थी कि अगर बीच में कुछ रख दिया जाए तो वह भी टूट सकता था. मैं इतनी जोर के साथ झटके लगा रहा था कि उस चूत से पच पच की आवाज आ रही थी. हम दोनों चुदाई में कितने खोए हुए थे कि हमें पता ही नहीं की हम कहां थे … हम भूल गए कि बाहर कोई बैठा हुआ है.

माफी चाहता हूं … मैंने आपको बिना बताए कहानी शुरू कर दी.

यह कहानी मेरी और एक ऐसी औरत के बीच में है, जिससे न मैं कभी मिला था, ना कभी उसको लेकर कुछ सोचा था कि जिंदगी में ऐसी कोई औरत आएगी.

पहले मैं आपको मेरे बारे में बता दूं. मेरा नाम धर्मेंद्र है, मैं उदयपुर में रहता हूं. मेरी हाइट 5 फुट 9 इंच है. मैं 24 साल का एक हैंडसम बंदा हूं, जिसे देख कर हर किसी की चूत में खुजली मच सकती है. मुझे देख कर प्रिय पाठिकाओं, तुम सब भी अपनी चूत में उंगली कर सकती हो … क्योंकि ऐसा मुझे बहुत सी लड़कियों ने और औरतों ने कहा है.

मैं जिम करता हूं, इसलिए मेरी अच्छी खासी बॉडी है.

ये मेरी लाइफ की पहली अन्तर्वासना कहानी है. मैं बहुत दिनों से सेक्स कहानी लिखने की सोच रहा था. अन्तर्वासना के बारे में सबसे पहले मुझे मेरे दोस्त ने बताया था. मैंने भी इधर की सेक्स कहानी पढ़ना शुरू किया. मुझे अच्छा लगने लगा, तो मैंने मन बनाया कि मेरे साथ जो हादसा गुजरा है, उसे आप लोगों के साथ शेयर करूं.

चूँकि पहली बार लिख रहा हूँ … अगर कोई समझ ना आए … या कुछ गलती हो तो माफ कर देना.

मैं जब छोटा था, तो मेरा बहुत सेक्स का मन करता था. जब मेरा मन सेक्स करने का होता था, तब मैं छिप छिप कर पोर्न फिल्में देखा करता था. जब मैं गंदी फिल्में देखता था, तब चूत चुदाई करने का मेरा मन बहुत होता था, लेकिन उम्र छोटी थी, उस वक्त शक्ल सूरत भी अच्छी नहीं थी … तो कोई लड़की मुझे भाव ही नहीं देती थी. न ही सामने से देखती थी.

उस वक्त मुझे अपने आपसे बड़ी घिन होती थी कि मैं ऐसा क्यों हूं. मैं क्यों अच्छा नहीं दिखता हूँ.

इन सब वजहों से लड़की पटाने के मामले में मुझे बचपन में बहुत प्रॉब्लम हुई. मैंने अपने हाथ से हिला कर अपने आपको संतुष्ट किया था. जैसे जैसे उम्र बढ़ती गई, मुझे समझदारी आती गई. हालांकि मुझे अब भी ये नहीं मालूम था कि औरतों को क्या चाहिए होता है … या लड़कियां कैसे खुश होती हैं. लड़कियों को कैसे पटाना चाहिए.

फिर धीरे-धीरे मैंने जिम जाना शुरू किया अच्छी बॉडी बनाई. उसके बाद मुझे अच्छा रेस्पॉन्स आने लगा.

ये एक जीता जागता गुजरा हुआ सच्चा मसाला है. जो कि बिल्कुल ही सच है और इसमें सच के सिवा कुछ भी नहीं है.

एक ऐसी लड़की की जो मुझे अचानक मिली जिसको मैंने कभी देखा तक नहीं था न सोचा था कि ऐसी कोई जिंदगी में आई थी बाद उस टाइम की है जब मैं शुरू शुरू में जिम जाया करता था. जिम के पास में खूबसूरत लड़की थी, जिसका नाम मैं नहीं लूंगा … लेकिन दिखने में वो जबरदस्त कमाल की लड़की थी. उसकी तारीफ जितनी भी करो, कम है.

उसकी आंखें क्या मस्त झील सी गहरी थीं कि बस एक बार देख लूं, तो घायल ही हो गया. उसका फिगर साइज 36-30-36 का था. जब वो चलती थी, तो उसकी गांड क्या मटक मटक कर … उछल उछल कर दिखती थी. क्या मस्त उभरी हुई गांड थी. उसकी गांड को देख कर अच्छे अच्छों का लंड खड़ा हो जाए. उसकी गांड देखकर ऐसा मन करता था कि बस अभी के अभी ही अपना 7 इंच का सरिया अन्दर घुसा दूं. उसकी चीखें निकाल दूं. बस रोज इसी तरह दिन निकलते थे.
जब भी मैं वहां जिम के पास से जाता था, उसे देखने का मौका नहीं छोड़ता था. बस उसको देख कर खुश हो जाया करता था. मैंने उसे देखा बस ही था, अब तक मैं उसके बारे में कुछ भी नहीं जानता था कि वो कौन है, कहां से आई है … उसका नाम क्या है … वो करती क्या है. मुझे उस टाइम तक कुछ भी नहीं मालूम था.

एक दिन मैं उसे देख रहा था कि उसने भी मुझे देखा. मैंने नजरें नीचे कर लीं और न जाने क्या समझ आया कि जेब से पेन निकाल कर एक कागज़ के टुकड़े पर अपना फोन नम्बर लिखा और कागज को अपनी मुट्ठी से मरोड़ कर फेंक दिया. इसके बाद उसकी तरफ देखा और चला गया.

मुझे बहुत ज्यादा कोई उम्मीद तो नहीं थी, बस एक बार मन ने कहा और नम्बर लिख कर फेंक दिया.

हालांकि उससे कुछ नहीं हुआ. अब मेरा रोज का यही काम था. जिम से लौट कर अपने कमरे में आता था … उसे अपनी कल्पनाओं में देखता था और उसके नाम की मुठ मारके सो जाता था. मैं मन में दुआ करता था कि एक दिन ये मुझे मिल जाए और दबा दबा कर चोद दूँ. मगर हमारी किस्मत तो गधे के लंड से बंधी हुई थी, इसमें कभी कुछ अच्छा होना ही नहीं था. उम्मीद ही लगा रखी थी कि होगा तो कुछ बुरा ही होगा … साला अच्छा तो कभी हुआ ही नहीं है. इतनी अच्छी लड़की कहां से मिलेगी.

लेकिन आपने सुना ही होगा कि अगर किसी चीज को दिल से चाहो, तो सारी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है और यह सिर्फ डायलॉग नहीं है, हकीकत भी है. क्योंकि जब तक मेरे साथ हादसा नहीं हुआ, उससे पहले मुझे लगता था कि चाहने से कुछ नहीं होता है, कोई कायनात वायनात नहीं होती.

फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ कि मुझे यकीन होने लगा कि ऐसा होता है.

बात को ज्यादा ना घुमाते हुए सीधा पॉइंट पर आते हैं.

मैं रोज की तरह उसके ख्यालों में खोया हुआ था. अचानक मेरे फोन पर एक कॉल आया. उधर से हल्की सी आवाज में कहा गया- हैलो.

मैं एक पल के लिए सोचने लग गया कि ऐसा कौन है, जो मुझे कॉल कर रहा है.
फिर मैंने भी जवाब दिया- हैलो … हां जी बोलिए!
तो उसने कहा कि मैं रूबीना बोल रही हूँ.
(यह उसका काल्पनिक नाम है असली नाम नहीं बताऊंगा)
मैंने चौंकते हुए पूछा कि कौन रूबीना?
तो उसने कहा कि मैं वही रूबीना, जिसे आप रोज देखते हैं और बात तक नहीं करते. आपने ही नम्बर को लिख कर सड़क पर फेंक दिया था न!

इतना सुनते ही मेरे मन में लड्डू फूटने लगे और मैं अपने आपके बारे में सोचने लगा कि साला मैंने अब तक उससे क्यों बात नहीं की … जबकि वो तो मुझसे बात करने को तैयार थी.

मैंने अपने आपको संभालते हुए कहा कि मैं तो आपको नहीं देखता हूं … मैं तो बस अपने काम से काम रखता हूं. वहां से गुजरता हूं और वापस आ जाता हूं.

वह बोली- क्यों … चलो अब बनाओ मत … मुझे सब पता है, तुम मुझे क्यों देखते हो?
मैंने भी पूछ लिया- आप मुझे बताओ न … मैं क्यों देखता हूँ?
उसने भी शरारती अंदाज में कहा- अब इतने भोले मत बनो, जैसे तुम्हें कुछ पता ही नहीं है.

इस तरह उस दिन हमारे बीच बातें शुरू हुईं. फिर उसने बताया कि मेरी यहां शादी हुई है, मेरा पूरा दिन इसी घर में गुजर जाता है. ना कभी मैं बाहर निकलती हूँ, ना कहीं जाती हूँ. बस पूरा दिन उसी घर में, घर के काम करने में निकल जाता है. मेरा पति भी ऐसा है, जिसे काम से फुर्सत ही नहीं है कि मुझ पर ध्यान दे … मुझसे प्यार करे … मुझसे सेक्स करे, मेरी जरूरतों को पूरी करे.

मैंने उसके मुँह से सब सुना.
जब उसने ये बताया कि उसका पति उसे वह सुख नहीं दे पाता है, जो उसे मिलना चाहिए. तो मुझे समझ आ गया कि सौदा बिना खतरे का है. सिर्फ मजा लेने देने का मामला है.

इस तरह की हमारी बातें होने लगीं. वो अपने दुख मुझे सुनाती. मुझे भी सुनने पड़ते … क्योंकि मुझे तो उसकी चूत और गांड मारनी थी.

एक दिन मैंने उससे कहा- आप ऐसी बातें मत किया करो, सीधी सी बात है … मैंने जब से आपको देखा है, मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हूं.

मेरी यह बात सुनकर वो गुस्सा हो गई और बोली- तुम मेरे बारे में ऐसी सोच रखते हो … मैं तो तुम्हें अच्छा समझती थी … लेकिन तुम तो ऐसे निकले. आज के बाद मुझे फोन मत करना.

अक्सर होता है ना कि लड़की हमसे कुछ और उम्मीद लगाकर बैठी होती है … और हम कुछ और भी लगा कर बैठे होते हैं. मुझे तो उसके साथ सेक्स करना था, तो मैंने खुलकर कह दिया. उसे भी ना जाने कहीं ना कहीं अपने अन्दर अपने पति से ना मिलने वाले सुख के कारण मुझसे बात करना ठीक लगा था. उसे भी सेक्स की जरूरत थी, पर वह मुझसे कह नहीं पाई.

हालांकि वो इतनी जल्दी सेक्स की बात पर खुलना नहीं चाहती थी. शायद मुझे ये बात करने में कुछ और टाइम लेना चाहिए था. लेकिन मैंने बहुत जल्दी कर दी.

जब उसने मुझसे कहा कि मुझसे बात मत करना, तो मामला फ़ैल गया. उसने मुझसे बात करना बंद कर दिया.

मैंने सोचा कि कितना अच्छा माल मिला और क्या गड़बड़ी कर दी यार तूने … माल तो तेरा ही था … थोड़ा सब्र रख लेता, तो सब काम हो जाता.

फिर भी टेंशन में टेंशन होती है. मैं उसे पहले की तरह देखने लगा, पर वो रोज की तरह अब मुझे नहीं दिखती. मैं और परेशान होने लगा.

फिर अचानक चार दिन बाद सुबह के 4:00 बजे उसका कॉल आया. उसने कॉल करते ही कहा- जल्दी से मुझे मिलने आ जाओ.
मैंने कहा- इतनी जल्दी? क्या हुआ?
तो उसने कहा- ज्यादा टाइम नहीं है … मेरे पति अभी सोए हुए हैं. आप जल्दी से यहां पर आ जाइए, मैं आपका वेट कर रही हूं. मैं घर के बाहर ही हूं.

जल्दी में उठकर मैंने अपनी बाइक निकाली और उसके घर के पास चला गया. सुबह के अंधेरे में मैं वहां पहुंचा था. मेरे पहुंचते ही वो मुझसे लिपट गई और रोने लगी.

रूबीना- मुझे माफ कर दो, मैंने आपसे बात नहीं की.
मैंने कहा- माफी तो मुझे मांगनी चाहिए. मैंने आपको गलत कह दिया था, मुझे सोच समझकर बोलना चाहिए था कि आप मुझसे क्या चाहती हो.
उसने कहा- मैं वही चाहती हूं, जो आपने मुझसे कहा था, लेकिन पता नहीं मुझे उस टाइम क्या हो गया था. मैंने आपसे बात करना बंद कर दिया.

इतना सुनते ही मैं उसे किस करने लगा. मैं रोड पर खड़ा हुआ था और वह भी मेरे साथ खड़ी थी. वहां मुझे कुछ ख्याल ही नहीं रहा. मैं बस उसे किस करने लगा. ये सब मेरे लिए पहली बार था.

उसे तो सब पता था क्योंकि वो एक शादीशुदा थी. मुझे उस टाइम ऐसा लग रहा था, जैसे मानो मुझे जिंदगी का सबसे बड़ा सुख मिल गया हो. मैंने ऐसी फीलिंग आज से पहले कभी महसूस नहीं की थी.

वो मेरे होंठों को इस तरह चूस रही थी, जैसे कई बरसों की प्यासी हो.
उसके होंठ चूसने से मेरी हालत खराब हो रही थी. मेरा लंड इतना कड़क हो चुका था कि अगर दीवार में घुसा दूं, तो दीवार में छेद हो जाए. उसने मेरे लंड को महसूस कर लिया था.

मैंने उसे कसके पकड़ लिया था और लंड को वहीं खड़े खड़े उसके पेट में गड़ाने लगा. जैसे ही मैंने उसके मम्मों को छूने की कोशिश की, तो उसने मेरे हाथों को रोक लिया.
अब उसने कहा- हम सड़क पर खड़े हैं.

तभी मुझे होश आया और मैंने अपने आपको संभाला.

उसने कहा- बाकी सब बाद में …

उस टाइम मुझे बहत ज्यादा गुस्सा आया, पर मैं क्या कर सकता था. मुझे निराश होना पड़ा … मैं वापस अपने घर आ गया.
जब मैं वापस घर पर आया, तो मेरा मन ही नहीं लग रहा था. मुझे एक ही ख्याल आ रहा था कि मेरी चूत की चोदाई की कहानी कब पूरी होगी.

पूरा दिन ऐसे ही ख्यालों में गुजर गया. मैं इंतजार करता रहा कि अभी उसका कॉल आएगा, उससे बात होगी. मगर उस दिन उसका कोई कॉल नहीं आया. मैं उसके ख्याल में मुट्ठ मारके सो गया.

मुठ मारने से तनाव खत्म सा हुआ और मुझे नींद भी कब आ गई, पता ही नहीं लगा.

फिर मैं जैसे अचानक उठा. मैंने देखा कि शाम के 7:00 बज रहे थे. मैंने अपने फोन को देखा, तो उसमें बहुत सारे मिस कॉल आए हुए थे. मैंने इतने मिस कॉल देख कर तुरंत उसको फोन किया.

यह सभी कॉल उसी के थे. मैंने कॉल किया, तो मेरे कुछ बोलने से पहले ही वह बोल उठी- कहां थे अब तक? कितने फोन किए … सुबह कुछ करने नहीं दिया, तो क्या नाराज हो गए?
फिर मैंने उसे समझाया कि मैं नाराज नहीं हुआ हूं … मैं तुम्हारा ही वेट कर रहा था और मुझे कब नींद आ गई, पता ही नहीं लगा.
उसने कहा कि चलो अभी मेरे घर पर कोई नहीं है, अभी तुम आ जाओ. हम अपना सुबह का अधूरा काम पूरा कर लेते हैं.

उस वक्त रात के लगभग 8:00 बज रहे थे. मैंने अपनी बाइक उठाई और सीधा उसके घर चल दिया. गाड़ी को मैंने दूर खड़ा कर दिया था ताकि कोई देख ना ले. क्योंकि वहां पर मेरी जान पहचान के भी लोग थे.

नजदीक जाकर मैंने उसे कॉल किया और पूछा कि मैं सीधा अन्दर आ जाऊं?
तो उसने कहा कि नहीं … रुको तो … पहले मुझको देखने दो, बाहर कोई है तो नहीं … अगर किसी ने देख लिया, तो मेरा यहां रहना मुश्किल हो जाएगा.
मैंने कहा कि हां देख लो, मैं वेट करता हूं.

थोड़ी देर बाद उसका कॉल आया. उसने कहा कि कोई नहीं है, जल्दी से आ जाओ.

मैं सीधा घर में घुस गया. घर में घुसते मैंने उसे देखा. देखते ही मैं उससे चिपक गया. उसे गले से लगाया और उसको किस करने लगा. उस वक्त मैं पागल हो चुका था, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था. बस पागलों की तरह से किस किया जा रहा था.

उसने मुझे रोकते हुए कहा- सब कुछ यहीं करोगे क्या? चलो कमरे में चलते हैं.
फिर मुझे होश आया. मैंने अपने आपको संभाला.

हम दोनों कमरे में चले गए. कमरे में जाते ही मैं उसे घुमा कर उसकी गर्दन में चुम्बन करने लगा. तब तक मेरा लंड खड़ा हो चुका था. मैं पीछे से उसकी मोटी गांड में लंड को ठेले जा रहा था. आगे से अपने हाथों से उसके मम्मों को दबा रहा था. मैं इतना जोर से दबा रहा था कि मुझे बस पहली और आखिरी बार दूध दबाने को मिले हों.

वह मुझसे कह रही थी- आह धीरे से करो … मुझे लग रही है.
पर मुझे कहां कुछ सुनाई देने वाला था. मैं तो बस अपने अन्दर के शैतान को जगा चुका था. उसकी एक भी आवाज मेरे कानों में नहीं आ रही थी. उस टाइम तो बस खड़े खड़े मन कर रहा था कि जल्दी से गांड में लंड घुसा दूँ.

मैंने उसकी साड़ी को पीछे से उठा दिया और मैंने अपने लंड को उसके सीधा गांड में सैट करके धक्का मार दिया. बिना किसी अनुभव के लंड पेल देने से लंड अन्दर ही नहीं जा रहा था. मेरी हरकत से उसको हंसी आ रही थी.
उसने मुझसे पूछा- क्या पहली बार कर रहे हो?
मैंने कहा- हां … मैंने कभी सेक्स नहीं किया है.
तो उसने कहा कि फिक्र मत करो मैं सब सिखा दूंगी.
मैंने कहा- जल्दी से सिखा दो न.
उसने हाथ पीछे करते हुए मेरे गाल पर चिकोटी काटते हुए कहा- चलो हम बाथरूम में चलते हैं … वहां करेंगे.

अब तक हमारे कपड़े नहीं निकले थे. सिर्फ मेरा लंड मैंने पेंट से बाहर निकाला हुआ था. उसने अभी तक मेरा लंड भी नहीं देखा था.
जब मैंने कहा- हां चलो अन्दर चलते हैं.
वह मेरी तरफ घूमी. उसका चेहरा मेरे से चेहरे के सामने आया.

जबी उसकी नजर धीरे से मेरे लंड पर पड़ी, तो उसने कहा कि ओ माय गॉड … तुम इतने बड़े से हथियार को मेरे छोटे से छेद में डालने की कोशिश कर रहे हो, पर तुम्हें तो इतना भी नहीं पता कि उसको कैसे डाला जाता है.

उसके मुँह से ऐसी बातें सुनकर मैं थोड़ा सा सोचने लगा कि यह तो कितनी चालू लड़की है … कितनी बेशर्मी से बातें कर रही है.

मैंने उसकी बातों को ध्यान नहीं देते हुए आगे बढ़ना ही अच्छा समझा. फिर वह मेरे लंड को पकड़कर मुझे बाथरूम में ले गई. मैं मेरे लंड के साथ उसके साथ में अन्दर खिंचता हुआ जाने लगा. उस टाइम मुझे ऐसा लगा कि लंड कितने कमाल की चीज होती है. सिर्फ उसने लंड को ही पकड़ा था और मेरी पूरी बॉडी उसके कंट्रोल में हो गई थी.

उसके लंड पकड़ते मुझे झनझनाहट होने लगी थी. यह क्या हो रहा है … ऐसी फीलिंग थी कि उस टाइम कुछ समझ में नहीं आ रहा था. उसके लंड पकड़ते ही में और जोश में आ गया.

फिर मैं साथ में बाथरूम चला गया. बाथरूम में घुसते ही उसने मेरी पैंट की जिप खोली और मेरा लंड को हाथ में पकड़ कर नीचे बैठ गई. वो उसे देखने लगी.

मैंने कहा- क्या देख रही हो?
उसने कहा- मैं इसी के लिए तरस रही थी और मैंने उस दिन आपको न जाने क्या बोल दिया था. मैंने बात भी नहीं की आपसे.
मैंने कहा- कोई बात नहीं … जो हुआ सो हुआ … अभी आगे का करते हैं.

फिर उसने मेरे लंड को सीधा मुँह में डाल लिया, जैसे ही मेरा लंड उसके मुँह में गया. मैं कांपने लगा, मुझे अजीब सा होने लगा. मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह क्या हो रहा है … क्योंकि उस टाइम पहली बार इस लड़की ने मेरे लंड को छुआ था और मुँह में लिया था. वो मेरे लंड को ऐसे मुँह में ले रही थी, जैसे उसको बहुत मस्त चीज मिल गई, जिसके लिए वो बरसों से भूखी थी.

मेरे दोनों हाथ मेरे बस में नहीं थे, उसकी हाथ मेरी गांड के गोलों पर टिके हुए थे और मेरा लंड उसके मुँह में था. वो हाथों से मेरी गांड को आगे पीछे करने की कोशिश में लगी थी. मुझे समझ में आया कि ये मुझे आगे पीछे होने के लिए कह रही है. मैंने उसके सर को पकड़ कर गांड को आगे पीछे करने लगा, तो उसके मुँह से ओक ओक ओक की आवाज आने लगी थी.

फिर ऐसे ही कुछ देर लंड चूसने के बाद उसने मेरा लंड बाहर निकाला.
मैंने उससे कहा- मुझे अन्दर डालना है.

इतना सुनते ही वो मुझे किस करने लगी. उसके किस करते करते ही मैं अपने हाथों से उसकी साड़ी उतारने लगा. धीरे-धीरे मैंने पूरी साड़ी उतार दी, वह सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में रह गई थी. मैंने धीरे से उसका ब्लाउज खोला.
मेरे दिमाग में एकदम से घंटी बजी और बचपन का एक डायलाग याद आ गया जब हम कुछ कमीन दोस्त किसी भी बड़े चूचे वाली लड़की को देख कर लव स्कूल कह देते थे. कहीं आज ये वही लव स्कूल तो मेरे सामने नहीं आ गया था.

मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं, इतने नुकीले चूचे मैंने जिंदगी में कभी नहीं देखे थे. दूध चूसने के लिए मैं पागल होने लगा. मैंने आव देखा न ताव दोनों हाथों से उसके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. मैं अपने आप ही में पागल हो रहा था कि पता नहीं मुझे क्या हुआ.

उसके मम्मों को मुँह में लेकर चूसने लगा. अब तक चूचे चूसते चूसते मेरा लंड बहुत कड़क हो चुका था. उसका एक हाथ मेरे लंड को पकड़कर आगे पीछे कर रहा था. मुझे उस टाइम बहुत मजा आ रहा था.

चूंकि मैं उस टाइम पहली बार चोदाई करने वाला था. यह सब मेरे लिए नया था. फिर उसने मुझे रोकते हुए मेरी पेंट उतारी और टी-शर्ट भी उतार दी. मैं उसके सामने बिल्कुल नंगा खड़ा था.

वो मेरे शरीर को देख कर पागल हो गई और कहने लगी- मैंने आज तक ऐसा शरीर नहीं देखा … तुम कितने सेक्सी दिखते हो.
मैंने कहा- तुम पहली लड़की हो, जिसने मुझे ऐसे देखा है.
उसने कहा कि अगर कोई तुम्हें देख ले, तो पागल ही हो जाए.

उसके इतना बोलते ही मैं उसे किस करने लगा. उसका ब्लाउज मैंने पीछे से फाड़ दिया क्योंकि उस टाइम मैं बहुत जोश में था. उस समय वैसी सी फीलिंग आ रही थी कि मेरे अन्दर न जाने ताकत एकदम से डबल कैसे हो गई थी.

वो कहने लगी- यह क्या कर दिया तुमने … ब्लाउज ही फाड़ डाला … सब्र तो कर लो … मैं कहीं नहीं जाने वाली. मैं तुम्हारी ही हूं और हमेशा तुम्हारी रहूंगी.

मैंने उसे सीने से लगा लिया. मैं उसको इतना जोर से हग करने लगा कि उसके नुकीले चूचे मुझे अपनी छाती में गड़ते से महसूस होने लगे. जब मेरे सीने से उसके मम्मे लग गए, तो मुझे ऐसा लगा, जैसे मेरे शरीर को मलाई लग रही हो.

मुझे बड़ा मजा आ रहा था. फिर मैंने उसका पेटीकोट खोलने की कोशिश की, पर मुझसे नहीं खुला, तो उसने अपने हाथों से खुद का पेटीकोट खोल दिया. उसने अन्दर पेंटी नहीं पहनी हुई थी. मैं उसको नंगी देखकर नीचे बैठ गया.

एकदम मुलायम मक्खन सी चूत को देख कर मैं पागल हो गया था. जाने मुझे क्या हुआ कि मैं उसकी चूत को हाथों से फैलाने लगा. अन्दर से एकदम गुलाबी थी उसकी चूत. मुझे पता नहीं क्या हो गया कि मैंने अपना मुँह अन्दर घुसा दिया और चूत के गुलाबी होंठों को चूसने लगा. इतना दम लगाते हुए चूत को चूसने लगा कि उसकी सांसें रुकने लग गईं.

तब उसने मेरा सर और जोर से अपनी टांगों के बीच में दबा दिया और वह धीरे-धीरे नीचे बैठे लगी. वो नीचे बैठी, तब भी मेरा सर उसकी टांगों के बीच में घुसा हुआ था. तब तक मैं भी लेट चुका था.

फिर उसने मुझे रोका और कहा- अब अन्दर डाल दो.
उसके ये कहते ही मैंने पोजीशन बनाई और अपना लंड उसकी चूत में रखकर तैयार हो गया.
मैं जैसे ही लंड अन्दर डालने लगा, तभी बाहर से किसी के आने की आवाज आने लगी. हम दोनों बाथरूम के अन्दर थे.
ध्यान से सुना तो रूम में आकर कोई बोल रहा था.

उसने फुसफुसाते हुए कहा- मेरे पति आ गए हैं … अब हम अन्दर फंस चुके हैं. हम बाहर कैसे जाएंगे … आज तो मैं मर गई.

इस तरह की बहुत सी बातें करने लगी. यह सब सुनकर मेरी गांड फटने लगी. मेरा खड़ा लंड कब बैठने को हो गया, मुझे पता ही नहीं लगा.
उस टाइम वो कह रही थी- बाहर जाएंगे, तो वो हमें पकड़ लेंगे.

फिर अचानक उसके पति की आवाज आई- कहां हो तुम?
तो उसने अन्दर से कहा कि मैं बाथरूम में हूं … नहा रही हूं.
उसका पति कहने लगा कि आज इतनी रात को क्या नहाने की जरूरत आ गई?
उसने कहा कि मेरी साड़ी गीली हो गई थी. मैं नहाने लग गई.

यह सब सुनकर मुझे थोड़ी सी तसल्ली हुई. फिर मैंने सोचा जो होगा देखा जाएगा. अब तो शुरू करते ही हैं.

तब तक वह खड़ी हो चुकी थी और मैंने भी लंड को सहला कर खड़ा कर लिया था. मैंने उसे पीछे से झुका दिया और लंड को चूत के छेद पर सैट करके सीधा अन्दर पूरा का पूरा घुसा दिया.

लंड के चूत में जाते ही उसकी चीख निकल गई. उसकी चीख इतनी जोर से निकली थी कि उसके पति ने बाहर से सुन ली.

यह देख के मुझे डर लगने लगा कि कहीं उसका पति अन्दर ना आ जाए. उस टाइम तो माइंड में यही रहता है कि हमारी नजर में कुछ गलत हो रहा है, तो सामने वाले की नजर में भी गलत ही होगा.

बाहर से पति चिल्लाया- क्या हुआ?
उसने अन्दर से खुद को सम्भालते हुए कहा- कुछ नहीं हुआ, मैं जरा फिसल गई थी.

फिर इतना सुनते ही मैं लंड को आगे पीछे करने लगा. वो भी मेरे लंड के हर झटके का मजा ले रही थी. मुझे भी न मालूम कितना मजा आने लगा था. फिर धीरे-धीरे मेरे लंड के झटकों की स्पीड बढ़ने लगी, तो उसने मुझे रोक लिया.

अब उसने कहा- तुमको नीचे लिटा कर करूंगी.

मुझे नीचे लेटने का इशारा किया. मैं फर्श पर लेट गया. वो मेरे ऊपर आ गई. उसने मेरे लंड को चूत पर सैट किया. उसने मेरा पूरा लंड में चूत में ले लिया. मेरी आंखों के सामने ही मेरा लंड चूत में गायब हो चुका था. मेरे मन में ख्याल आया कि चूत के अन्दर कितना गहरा गड्डा होगा, जो इतने बड़े लंड को भी गायब कर दिया.

उसके बाद वो मेरे लंड के ऊपर नीचे होने लगी. मुझे बहुत मजा आने लगा था … क्योंकि जिंदगी में पहली बार मेरा लंड किसी चूत में घुसा था.
फिर वह इतनी स्पीड से ऊपर नीचे होकर चोदाई करने लगी कि पच पच की आवाज आने लगी.

उस टाइम बिल्कुल भी ख्याल नहीं आया कि आवाज बाहर भी जा सकती है और बाहर कोई बैठा हुआ है.

वह अपनी ही धुन में मेरे ऊपर नीचे होने लगी. ऊपर नीचे होते होते मुझसे लिपट गई. फिर ऊपर नीचे का खेल खेलना बंद कर दिया. वो मुझसे कस कर लिपट गई और उसने कहा कि मेरा हो गया है.

उस वक्त मुझे समझ में नहीं आया कि वह क्या कह रही थी.
मैंने कहा- हां कोई बात नहीं.

मैंने उसे मेरे नीचे लिटाया और मैं उसके ऊपर आ गया. मैं उसकी टांगों में बैठकर चूत को देखने लगा. वो पहले के मुकाबले अभी थोड़ी अधिक उभरी हुई थी.

मैंने उससे पूछा कि ऐसा क्यों हो गया है?
तो उसने कहा कि आज पहली बार कोई मस्त डंडा मेरी चूत में गया है और मुझे चोदाई में संतुष्ट किया है … ऐसे में हमेशा इसी लंड से चूत ख़ुशी से फूल कर कुप्पा हो जाती है.

इतना सुनते मैं खुश हो गया और मैंने सीधा अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया.

उसने कहा- क्या हुआ? अब तक तुम्हारा हुआ नहीं था क्या?
मैंने कहा- देखो ना कितना खड़ा है. तुम्हारे अन्दर जाने के लिए कितना तड़प रहा है.

मैंने उसको किस करते हुए धक्के लगाना शुरू कर दिए. कुछ देर बाद मैं नीचे से गांड और उसकी चूत को देखने लगा. वो गांड उठाने लगी. मैंने स्पीड बढ़ा दी और धकापेल चोदाई करने लगा.

तब तक उसका एक बार और हो चुका था. फिर मैंने फुल स्पीड में धक्के मारते हुए उससे कहा- मेरा पानी निकलने वाला है.
यह कहते कहते ही मेरे लंड का पानी उसकी चूत में निकल गया. मैं थक कर उसके ऊपर ही लेट गया.

फिर मैंने उससे कहा- यहां से बाहर कैसे जाएंगे … आपके पति बाहर बैठे हैं.
तो उसने कहा- मैं निकल कर उनको बाहर भेज देती हूं. उनके जाने के बाद तुम चले जाना.

फिर उसके बाद उसने अन्दर से ही आवाज लगाई कि आप दूध ले आओ ना … तब तक मैं बाहर निकल कर कपड़े पहन कर आपके लिए खाना लगा देती हूं.
उसका पति ‘ठीक है..’ कह कर वहां से दूध लेने चला गया. मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने, उसको किस किया और वहां से चला आया.

उसके बाद हमें जब भी मौका मिलता है … हम चूत चुदाई का मजा कर लेते हैं.

तो दोस्तो, आपको कैसी लगी मेरी पहली चोदाई कहानी … मुझे मेल करके जरूर बताना.
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