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मेरे सच्चे प्यार की चूत की चुदाई हिन्दी मे
हाय फ्रेंड्स.. मेरा नाम नील है। मैं एक नौजवान हूँ और स्कूल की अंतिम क्लास में पढ़ता हूँ।
मैं बहुत हैण्डसम तो नहीं हूँ.. पर हर किसी के दिल पर छा जाता हूँ। मैं स्कूल की सभी एक्टिविटी में बहुत होशियार हूँ जिस वजह से मैं अपने दोस्तों और अपने आस-पास के लोगों में काफ़ी जाना पहचाना चेहरा हूँ।
मैं अपनी सेक्स स्टोरी लिखने से पहले आपको एक बात बता देना चाहता हूँ कि मैं एक लड़की से बेहद प्यार करने लगा था उसका नाम श्वेता है। वो बहुत सुंदर है.. उसके लिए एक ही शब्द काफी है कि वो सेक्सी है।
वो मेरी ही उम्र की है। उसका फिगर 32-26-34 का है। स्कूल में इस हॉट फिगर को देखकर सब पागल थे। मैंने खुद उसे प्रपोज करके भी कई बार कोशिश की.. पर मुझे हर बार निराशा ही हाथ लगी थी।
इसलिए अब मैंने कोशिश करना छोड़ दिया और मन ही मन में मानो हार सा गया। ऐसा लग रहा था मेरे लिए खुशी का दिन कभी बना ही नहीं होगा।
सब कहते थे तू तो बस उसे ‘यूज’ करना चाहता है उसको इसीलिए पटा रहा है।
आप सब मेरा यकीन करो मुझसे ज्यादा उसे किसी ने प्यार नहीं किया होगा.. ना कभी कर पाएगा।
मैं अपने प्यार का एक-एक दिन गिन-गिन के रखता था। आख़िर में मेरा दिल ही उसको छोड़ने का फ़ैसला कर लिया, ठीक 412 दिन के बाद मैं उसको भूलने लगा।
अब मेरे पास उसके लिए एक भी फीलिंग्स नहीं बची। मैं अकेला जीने लगा..
पर कहते है ना ‘हर प्राणी का दिन आता है..’
करीबन दो हफ्ते के बाद उसके दिल में मेरे लिए कुछ फीलिंग्स आ गईं.. वो मुझसे प्यार करने लगी.. पर अब मैं पीछे हट चुका था। अब तो मैं उसे पीछे मुड़ कर भी नहीं देखता था।
फिर कुछ दिन बाद मैं एक दिन स्कूल जल्दी पहुँच गया। मैं साइकल से स्कूल जाता हूँ। तभी एकदम से मुझे श्वेता दिखी तो मैं सोचने लगा कि ये आज इतना जल्दी कैसे? ये तो अपनी हॉस्टल की बस से आती है.. वो भी सबके साथ.. पर आज अकेली कहाँ से आ गई?

मैंने 2 मिनट सोचा फिर खुद से बोला कि अबे मुझे क्या?
जब मैं क्लास पहुँचा तो क्लास खाली था। अधिकतर छात्र बस से आते थे और मैं जरा जल्दी आ गया था।
मैंने चुपचाप बैग रखा और एक बेंच के ऊपर बैठ गया। ठंड का मौसम था.. बैंच बहुत ठंडी थी, मैंने अपना सेलफोन निकाल लिया और एक गाना सुनने लगा- ‘तेरे होके रहेंगे..’
पता नहीं वो कहाँ से क्लास में घुसी और मेरे पास आकर उसने मेरा फोन छीन लिया और गाना बंद कर दिया। अभी मैं कुछ समझता कि वो खुद अपने मुँह से ‘मैंने खुद को.. (रागिनी एमएमएस- 2) का गाना गाने लगी।
मैंने उसे देख कर थोड़ा मज़ाक किया और उससे पूछा- किसके लिए गा रही हो? यहाँ मेरे सिवा तो कोई नहीं दिख रहा है?
वो बोली- यहाँ मेरा पुराना आशिक़ है जिसको आज मैं खुद को दे दूँगी।
मैं अवाक था।
वो मुझसे बोली- प्लीज़ मुझे बस 15 मिनट दे दो.. मैं जो करना चाहूँ.. मुझे कर लेने दो।
मैंने सोचा कि वो बस मुझे मनाएगी और क्या करेगी तो मैंने ‘हाँ’ बोल दिया।
फिर तो.. उसने अपने बाल खोले.. और मेरे चेहरे को अपने बालों से ढक दिया।
मैं अभी कुछ समझता.. वो मुझे मेरे होंठों पर किस करने लगी। उसकी इस हरकत से शायद मुझमें फिर से उसके लिए प्यार जाग उठा था।
वो मेरी गोदी में आकर बैठ गई और मुझसे लिपट गई।
वाउ.. कितना मुलायम अहसास था।
वो अपनी टी-शर्ट के 2-3 बटन खोल कर बोली- नील.. आई एम सॉरी.. मेरा ये जिस्म सिर्फ़ तुम्हारा है.. मुझे मालूम है कि तुम मुझे हमेशा प्यार दोगे.. प्लीज़ आज मुझे मेरी ग़लती की सज़ा दे दो।
मैं समझ गया, मैं उससे बोला- नहीं यार श्वेता.. मैं किसी और के हक पर अपना हक नहीं जता सकता।
वो बोली- तू जानता नहीं है.. मैं कितनी पागल हूँ?
उसने अपनी शर्ट खोल कर अपने चूचे दिखाए। हे भगवान.. मैं तो एकदम से हतप्रभ था.. जिन चूचों को बाहर से देखकर सबने अपने लौड़ों को इतना हिलाया होगा.. मैं उन चूचों को बिना कपड़ों के एकदम नंगा देख रहा हूँ।
अब मैंने ध्यान से उसके मम्मों को देखा.. उसमें नाख़ून से नोंचने का निशान बना था। मुझे इतना गरम लगा कि मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया।
अब मैंने कहा- तुम क्या चाहती हो डॉल?
वो बोली- मैं चाहती हूँ कि मैं तेरी गर्लफ्रेण्ड बनूँ.. बस मुझे अपना प्यार दे दो।
मैं उसे मना नहीं कर सकता था।
वो बोली- मुझे वो दर्द दे दो प्लीज़।
मैं समझ गया और बोला- ठीक है लेलो.. जो लेना है।
वो अपने मम्मे चूसने के लिए बोली तो मैंने उसके दोनों मदमस्त चूचों को थोड़ा चूमा और मुँह में भर कर धीरे से पीने लगा।
वो बहुत खुश हुई और बोली- मुझे मेरा प्यार का आधा प्यार तो मिल गया।
मैंने भी कहा- चलो ठीक है.. तुम खुश हो.. तो मैं भी खुश हूँ। कम से कम इस प्यार की दास्तान में कोई दुखी तो नहीं रहेगा।
वो बोली- तू अब मेरा है जानू.. मुझे वो प्यार दे दो.. जिसकी मैं प्यासी हूँ।
मैंने भी सोचा- अब खेल शुरू करते हैं.. नहीं तो सब आ जाएँगे।
उसको एक बेंच पर बैठा कर मैंने उसके शर्ट को पूरा खोल दिया। उसकी आँखों में ख़ुशी बहुत थी।
मैंने खड़े होकर हल्का सा पैन्ट उतार कर अपने लंड को उसके पैरों के बीच में घुसेड़ दिया। उसने भी मेरे लौड़े को अपने छेद का रास्ता दिखा दिया। जब मैंने अपना लंड अन्दर घुसाया.. तो वो कांप उठी, वो तड़फ कर बोली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… दर्द हो रहा है।
मैं अभी निकाल ही रहा था.. वो बोली प्लीज़ रुको.. थोड़ा सा अन्दर ही रहने दो। मैं यूं ही लंड डाले रुका रहा। कुछ पल के बाद वो खुद अपनी गांड उठा कर धक्का मारने लगी और उसने अपनी चूत में मेरा पूरा लंड ले लिया।
जैसे ही पूरा लंड चूत में घुसा.. वो बोली- आअहह.. जानू मैं चिल्लाऊँगी.. तो तुम मुझे किस करके चुप करा देना।
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ टिका दिए और उसे किस करता रहा।
कुछ ही मिनट में चुदाई का मजा आने लगा और मैं उसकी चूत को ठोकता रहा। करीब 10-12 मिनट में वो झड़ गई। उसके बाद मैं भी बस झड़ ही रहा था.. तो मैंने लंड को चूत से निकाल लिया और बाहर झड़ने लगा। अचानक से उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया.. और मेरे लंड को चूसने लगी।
मैं भी मजे से उसके मुँह को चोदने में लगा था। वो इतनी ज़ोर से लंड चूस रही थी कि चूत से ज्यादा मजा उसके चूसने में आ रहा था।
फिर कुछ ही पलों में मेरा माल उसके मुँह में निकल गया। वो बहुत ख़ुशी से मेरा माल चाट गई।
झड़ जाने के बाद मैंने उसे उठा कर हग कर लिया.. किस किया।
इसके बाद उसको कपड़े पहना कर तैयार कर दिया। वो मेरे पास बैठ गई।
वो बोली- आई लव यू मेरे हबी..
‘आई लव यू टू माय डार्लिंग..’
वो- ओके.. आई एक योर डार्लिंग..
मैंने हँस कर कहा- यस डॉल..
थोड़ा देर में ही स्टूडेंट आने लगे थे।
श्वेता की सहेलियां भी हॉस्टल बस से आ गईं। मैंने उसको जाने को कहा दिया.. तो वो चली गई।
मैंने और श्वेता ने आज तक ये किसी को स्कूल में कानों-कान खबर नहीं होने दी।
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